संसार चंद जैसे देश के दुश्मनों ने भारतीय वन्य जीवों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। गरीब तबके के शिकारियों से बाघ जैसे शाही और राष्ट्रीय पशु का शिकार करवाना तथा इसकी खालों और हड्डियों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में एक हजार गुना दामों में बेच कर दौलत के बुते बहुत बड़ा नेटवर्क बना कर भारतीय वन्य जीवों ही नहीं बल्कि वनों को भी खतरे में दाल दिया है।
यदि भारत में शाही और राष्ट्रीय पशु बाघ शिकारियों से सुरक्षित नहीं है तो अन्य वन्य जीवों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
सामान्य समझ से ही समझा जा सकता है कि यदि संसद पर आतंकवादी हमला हो सकता है, मुंबई सहित पूरे देश में आतंकवादी हमले हो सकते हैं, निठारी कांड हो सकते हैं, सरकारी तंत्र एवं पुलिस की मिलीभगत से अति अमूल्य गौ वंश की तस्करी हो सकती है तो घने जंगलो में वन्य जीवो पर शिकारियों के खतरों को कैसे नजर अंदाज किया जा सकता है, नक्सलियों के साये में रहने वाले जंगलो में वन्य जीवो की सुरक्षा को नजर अंदाज करना इतना घातक अपराध है जिसे अक्षम्य है लेकिन दुर्भाग्य से इस पर ध्यान देने वाले कम लोग हैं।
अनेकों परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नेशनल डिफेंस ट्रस्ट ने वन एवं वन्य जीव सुरक्षा प्रभाग का गठन किया है तथा इसका उद्देश्य वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए काम करना है।